जिन्दगी एउटा खुल्ला जेल भयाे , माया माेहनै हत्कडी नेल भयाे


                                                                                                
जिन्दगी एउटा खुल्ला जेल भयाे
माया माेहनै हत्कडी नेल भयाे



मुक्ति पाईयाे भनेर अास गर्दा
उल्टै दुख र पीडाकाे खेल भयाे

शान्ति मिलेन जीवनमा कहिल्यै
ईश्वरकाे नियतिनै झेल भयाे




उदेश्य राख्दा क्षीतिजमाथि पुग्ने
डांडामै पुग्न ठेलमठेल भयाे

परीक्षानै रहेछ जीवन यात्रा
जाँच दिई रह्याे संधै फेल भयाे

-रमेश शर्मा घिमिरे
बिराटनगर -१९ माेरंग
हाल- फेदाप-१ ते-हथुम



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